Chhath Pooja: छठ पूजा सूर्य देव और छठी मैया की आस्था का महापर्व

Chhath Pooja

छठ पूजा का महत्व

छठ पूजा का मुख्य दिन सूर्योदय और सूर्यास्त के समय अर्घ्य देने का होता है। व्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर अपनी श्रद्धा और भक्ति अर्पित करते हैं और अगले दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करते हैं।

छठ पूजा का महत्व सूर्य देव की पूजा के साथ-साथ छठी मैया की आराधना में भी है। छठी मैया को सूर्य देव की बहन माना जाता है और उनसे सुख-समृद्धि, संतान और जीवन की कामना की जाती है।

Chhath Pooja: छठ पर्व के नियम

Chhath Pooja

  • नहाय-खाय: यह छठ पूजा का पहला दिन होता है। इस दिन व्रती स्नान करके शुद्ध होकर व्रत का संकल्प लेते हैं और सात्विक भोजन करते हैं।
  • खरना: यह छठ पूजा का दूसरा दिन होता है। इस दिन व्रती एक ही समय पर भोजन करते हैं और रात में खीर खाकर 36 घंटे का कठिन व्रत रखते हैं।
  • संध्या अर्घ्य: यह छठ पूजा का तीसरा दिन होता है। इस दिन व्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं और अपनी श्रद्धा और भक्ति अर्पित करते हैं।
  • उषा अर्घ्य: यह छठ पूजा का चौथा और अंतिम दिन होता है। इस दिन व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करते हैं।


Chhath Pooja: सूर्य देव और छठी मैया की आस्था का महापर्व

  • नहाय-खाय: यह छठ पूजा का पहला दिन होता है। इस दिन व्रती स्नान करके शुद्ध होकर व्रत का संकल्प लेते हैं और सात्विक भोजन करते हैं।
  • खरना: यह छठ पूजा का दूसरा दिन होता है। इस दिन व्रती एक ही समय पर भोजन करते हैं और रात में खीर खाकर 36 घंटे का कठिन व्रत रखते हैं।
  • संध्या अर्घ्य: यह छठ पूजा का तीसरा दिन होता है। इस दिन व्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं और अपनी श्रद्धा और भक्ति अर्पित करते हैं।
  • उषा अर्घ्य: यह छठ पूजा का चौथा और अंतिम दिन होता है। इस दिन व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करते हैं।
  • व्रती 36 घंटे का निर्जला व्रत रखते हैं।
  • व्रती केवल सात्विक भोजन करते हैं।
  • व्रती जमीन पर सोते हैं।
  • व्रती पूजा-पाठ के दौरान मौन रहते हैं।

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